Monday 26 September 2016

गरेर आवय मारय बिजरी गिरय पानी,
संझाकुन चुहत हवय घर के ओंरवानी
किसनहा मन के मन गदगद होवत हे,
आगे खेती किसानी के दिन संगवारी॥

भैंसा गाड़ी बईला गाड़ी रात रेंगत हे,
टेक्टर वाले मन ह बनिहार खोजत हे।
सब किसनहा के एके ठन बुता हवय,
घुरवा के खातू पलोवय खेत अउ बारी॥

बबा दाई हर परसा डारा लुवत हावय,
कोठार बारी के परदा पलानी ओईराही ।
झिपार बर बनय राहेर काड़ी के झिपारी,
खपरा लेवागे छान्ही ओईराय पारी पारी ॥

छेना खरसी झिंटी चिरवा सकलात हवय,
कोठा म पईरा बने कस कस धरात हवय।
मालमत्ता के नवा जुन्नी करत हे किसान,
कहे किसनहा गिरतिस पानी धारी धारी ॥

सुसईटी के खातु घर घर धरावत हवय,
कोठी ले सुघर बिजहा मन हेरावत हवय।
डांड़ी लेवागे नांगर पजावय घर लोहारी,
गोड़ा तरी के रांपा अउ हेरागे हे कुदारी ॥

मेढ़ मेर करत हवय उलट के चिनहारी,
डबरा खोचका के हे आगे पाटे के पारी।
कांटा खुंटी ल बिनव आवा खेत चतवारी,
सावन के पहिली जतन लव खेती बारी॥

अंकरस जोताय बने भूंईया ह खेतीहर,
थरहा लईहरा के करत हवय तईयारी।
सावन भादो किसनहा भरय किलकारी,
कहे सम्मत होही तभे छुटातिस उधारी॥

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़ok


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