Monday 26 September 2016


दोहा
(13/11)

मोर माटी बंदन करंव,चरन अंचरा पखार,
खावत हमन बने बने ,मया म तोर अपार।

तोर छाती ले उपजे,धान गंहू भरमार,
चना राहेर तींवरा,भरय कोठी हमार।

निकले नंदिया झोरकी,रूख राई पहाड़,
हरा हरा चारा चरे,गाय बछरू कछार।

आनी बानी भरे हे,धरती खनिज भंडार,
लोहा तांब कोईला ,चूना अगम अपार।

कोरी कोरी तिहार म,किसीम के पकवान,
सबके अपन धरम करम,हवन भाई समान।

गांधी अंबेडकर लागे ,देश सपूत महान ,
भगत राजगुरू जनमे,बन के हे भगवान।

कोनो साड़ी ल पहिरे,कोनो हे सलवार
कोनो धोति पहिरे हे,कोनो ह चुड़ीदार।

हिंदू मुसा सिख्ख हवय,भारत के पहिचान
बौद्ध जैन ईसाई,म हवय धरम हमार

ऊंच निच ल टोरके हे,बने हवय संविधान,
सब ल एके अधिकार हे,सबके अपन बिचार।

इंहा अनेकता म हवय ,एकता के भरमार,
शीश नवे मोर धरती,तोर बर बारंबार।

रचना
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़ok

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