पहिली पूजा हे भोर,लंबोदर जय तोर,
बिगड़े काम बनईया, काज बना दे मोर।
दाई पारबती हवय,ददा हे शिवा तोर,
कातिक नाव के एकझन,भाई हे जी तोर।
दांत बड़े हे एके ठन,पेट हवय बड़ तोर,
चढ़े मुसुक के सवारी,चार भुजा हे तोर।
एक हांथ म शंख धरे हे,दुजे कमल हे तोर,
तीजे हाथ भोग धरे,चौथा अशीष तोर।
सुपा कस हे कान बड़े,केंश ह लहरी तोर,
रिद्धी सिद्धी चंवर कर,सेवा करथे तोर।
फूल चघे पाना चघे,फल चघे हवय भोग,
लाड़ू तोर परसंग के,उदर ह भारी तोर।
अगियानी ल गियान दे,हर रोगी के रोग,
पाये सुख धान धन हे,जेन जय करे तोर।
रचना(दोहा१३/११)
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़ok
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