Saturday 9 January 2016

चिंघाड़ता हिन्दुस्तान

चिंघाड़ता हिन्दुस्तान
क्या अतीत और वर्तमान
पन्नों पर नाक रगड़ता
रोता ही रह जाएगा
इनकी शख्सियत पर बुलंदी है
बब्बर की दहाड़ है
विकास की परिभाषा भी क्या
ढहता ही रह जाएगा
कहीं राजनैतिक लोलुपता
आतंकवाद का मौर तो नही
स्वार्थ पर बीसात सतरंज
जीत तो नही जाएगा
ये अपनो की साजिश है
या गैरों की समझी साजिश
चंद कागज के नोटों पर
कोई हिन्दी बिक जाएगा
हम ही तो कंही कुतर नही रहे
इस अखंड भारत को
भगत की कुर्बानी तो नही
फिर फांसी चढ़ जाएगा

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment