हपट झपट कमाये जिनगी भर,
मर के का ले जाबे तैं परानी।
चार दिनीया हे तोर जिनगानी,
जईसे फोटका परे कस हे पानी॥
दाई ददा के कूद कूद सेवा कर,
रिता उन्ना के झिन चिंता कर।
कर तैं अईसन काम बुता जबरहा,
जब गरब ले दाई आंसू नहाही॥
दया धरम पर उपकार कर ले,
बांट बांट के रोटी संग खायेकर।
अपन खुद सुवारथ बर भोकवा,
खइता झिन कर अपन जिनगानी॥
गरीब मनखे के तैं सेवा कर,
अंधरा लुलवा के संगी तैं बन।
अपन पेट भरे बर तैं कभू नही,
झिन कर तैं दुसर के बईमानी॥
इहि सीख हे इहि हाना सियान के,
रद्दा रेंगव बने गुन माने सुजान के।
सुवयम जीवव जीयन दव सब ल,
राखव झिन खोड़ कपट के बानी ॥
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
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