Tuesday 5 January 2016

गज़ल

चुन चुन के मारेंगे शरहद से आने वालों को,
दूध छठी का देंगे शरहद से आने वालों को।

चुड़ीयां नही पहन रख्खी है हमने इन हाथो मे,
बंदूक के बदले तोपों से दागेंगे शरहद वालों को।

हिमालय पर तुफानों का असर नही है होता,
ये समझाना है अब  आतंकी शरहद वालों को।

तुम बदलोगे तो बदले हुए हम आज भी हैं,
हाथ  के बदले गले मिलेंगे शरहद वालों को।

पर ये हाथ मिलाने की कोशिशें नाकाम है "हेमंत"
हम बेवकूफ नज़र आते है शरहद वालों को।

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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