बस गम को पीने के लिए पी लेता हूं,
बस दिन चार जीने के लिए पी लेता हूं।
अब ये दुनिया शराबी कहती है मुझे,
वो क्या जाने मै किस लिए पी लेता हूं।
दिल से किसी का नाम कैसे मिटा डालूं,
तड़फाती है जब यादें तो पी लेता हूं।
तनहाइयां जब हद से गुजर जाती है,
अश्क भी शराब के संग पी लेता हूं।
बुरी होगी शराब किसी के लिए "हेमंत",
मै तो महबूब समझ के लिए पी लेता हूं।
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
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