Thursday 7 January 2016

गज़ल

बस इक पुरानी लकीर को खोज लेता हूं,
तुम याद आये तो किसी से पूछ लेता हूं।

घर गलियां यादें आज भी है सलामत,
कभी मै था जहां वो जगह पूछ लेता हूं।

नीशां तो अब मोहब्बत के मिलते नही ,
पर गुजरे लम्हों की भनक पुछ लेता हूं।

जहां तक जाते हैं पांव मेरे जस्बात के,
उनके घर बदलने की जगह पूछ लेता हूं।

ठिकाना मेरा भी नही कहीं रहा अब"हेमंत"
दिल बहलाने के लिए उनका पता पूछ लेता हूं।

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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