Monday 26 August 2024

जंगल का सैर

आओ-आओ    जंगल    जायें,
पर्वत    घाटी    पर    इठलायें।

पगडंडी    पर   हम   बलखायें,
पेड़    लताओं    से    बतियायें।
भाग-दौड़   तितली   के    पीछे,
चिड़ियों के  सँग-सँग उड़ जायें।।


रेतीली     नदियों    में    जाकर,
तैर - तैरकर      खूब      नहायें।
झरनों  के   सँग  हँसी  ठिठोली,
नाचें   -   कूदें     झूमें  -    गायें।।


पेड़ों   पर    बंदर   दिख   जाये,
गिलहरियों   से  मिलकर  आयें।
तेज    भागते     खरगोसों    से,
हम  सब  मिलकर  रेस लगायें।।


नील   गाय   वन  भैंसा  चीतल,
खोजे    इनको    घूम - घूमकर।
अगर   दिखे  तो  बड़े  प्यार  से,
देखें    सबको    और   दिखायें।।


पेड़ों   के    झुरमुट    में    देखो,
शायद  बब्बर    भी  दिख जाये!
भालू     दादा   के  घर   जाकर,
मीठा   ताजा     मधुरस    खायें।।

आओ-आओ    जंगल    जायें,
पर्वत    घाटी    पर    इठलायें......

हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़

















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