Wednesday 4 September 2024

कविता नुमा ग़ज़ल

पीड़ा    में   आनंद    घुला  है
काँटो  में  ज्यों  फूल खिला है


प्यार  करूँ या  फिर दूँ  गाली
एक  पुराना   दोस्त   मिला  है


मेरे  घर   जिस  दिन  आओगे
कहना  होगा   इश्क  बला   है


कितने  वर्षों     के   बाद   सही
रस्ता  मुझको  एक    मिला   है



हँसना- वसना  सीख-साख ले
हँसना   भी  तो  एक  कला है


राजाओं   की  हर   बाजी   में
प्यादों   ने   भी  दाँव   चला है


हँस्ता   गाता   रहता   हूँ   पर
मेरे    भीतर    एक   ख़ला  है


हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
रचना श्रेणी- कविता







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