Friday 6 September 2024

कविता नुमा ग़ज़ल


प्यार-मुहब्बत  में झगड़ा भी करना पड़ता है
घर  है तो घर को  जिंदा भी  करना पड़ता है

चुल्लू भर पानी में क्या बुझती है प्यास कभी
चुल्लू को दिल का दरिया भी करना पड़ता है

रंगो  से  भी  जीवन   में  होता  उबकाई  पन
फिर से  जीवन को सादा भी करना पड़ता है

दुनिया आसानी  से  मान जाय,ये छोड़ भरम
दुनिया से  वादा , झूठा भी  करना  पड़ता  है

ज्यादा भी  मीठा  रस  काम नही आता प्यारे
जीवन  को  खट्टा कड़वा  भी करना पड़ता है

झूठों   के   पौ-बारह    होते    हमने  देखे   हैं
सच  को  तो  रोना-धोना  भी करना पड़ता है

हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
रचना श्रेणी-कविता



 

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