Wednesday 25 September 2024

बेटी तुमको पढ़ना होगा

बेटी    तुमको     पढ़ना   होगा,
इतिहास   नया   गढ़ना   होगा,

उठो   कलम   से  नाता  जोड़ो,
पढ़ने  से  तुम  मुँह  मत   मोड़ो।
अपने   अधिकारों    को   पाने,
पुस्तक  से  अब  जुड़ना  होगा।।

अँधियारों    से    गहन   लड़ाई,
शस्त्र  है   केवल,  एक   पढ़ाई।
दुनिया  से   लड़ने    के   पहले,
खुद  से  खुद  ही  लड़ना  होगा।।

बिंदी    चूड़ी    कंगन    झुमके,
छोड़ो   तुम  ये   लटके  झटके।
सावन  के झूलों   को तज कर,
तुम्हे   गगन  तक  उड़ना  होगा।।

पग-पग पर क्यों ठोकर खाना,
भीख माँग कर क्यों कुछ पाना।
अपनी    मेहनत    के  बलबूते,
खुद   से   रंग  बदलना  होगा।।


सती   सावित्री  अब मत बनना,
काहे   का   ये    आँहें    भरना।
ममता  प्यार  त्याग के सँग सँग,
काँटों   में   भी    ढलना   होगा।।

पीछे    मुड़कर     पछताने   से,
लाभ    कहाँ    रोने   गाने    से।
जीवन  की   क्यारी  में  तुमको,
खिलना   होगा   फलना   होगा।।

बेटी    तुमको     पढ़ना   होगा,
इतिहास   नया   गढ़ना   होगा.....


हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
6/10/24 पत्रिका काव्यंजली में प्रकाशित








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