माँ का आँचल
पानी जैसा निर्मल निर्मल,
मेरी माँ का आँचल कोमल।
जब माथे पर बहा पसीना,
माँ ने पोंछा आँचल झीना।
ठंड लगे या बारिश आई,
आँचल से ढँक लेती माई।
धूप आँख जब दिखलाता है,
आँचल छाता बन जाता है।
थककर गोदी में जब पड़ता,
माँ का आँचल पंखा झलता।
दूध पिलाती मुझको माँ जब,
आँचल बनता मर्यादा तब।
खटिया , तकिया और रजाई,
माँ का आँचल सब कुछ भाई।
माँ का गुस्सा हो जब हाई,
आँचल कसकर करे कुटाई।
2
मच्छर
भन-भन करते मच्छर आया,
पूरे घर में उघम मचाया।
इसको काटा उसको काटा,
धीरे-धीरे सबको काटा।
बदन दर्द फिर ठंडी लेकर,
आया सबको इक दिन फीवर।
काँप रहे थे मुनिया मोनू ,
दादी दादा सोनी सोनू।
सब अस्पताल आये झटपट,
हुआ शुरू ईलाज फटाफट।
मलेरिया था सबको आया,
डाक्टर ने सबको समझाया।
साफ रहे घर का हर कोना,
मच्छर दानी में ही सोना।
हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
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