सुबह - सुबह सूरज आता है
धूप - रौशनी सँग लाता है
सूरज पहले आकर पोखर
मुँह धोता बाल सजाता है
पेड़ों के झुरमुट में सूरज
धूपों का तार बनाता है
ओस भरे मकड़ी जालों पर
रंगों का धनुष खिलाता है
सूरज पेड़ों की फुनगी पर
चिड़ियों के सँग इतराता है
सूरज बागों में जब आता
तितली भौंरों सँग गाता है
दो - पहरी में फिर सूरज को
इतना गुस्सा क्यूँ आता है
भूखा -प्यासा दिन भर सूरज
शाम ढले तब घर जाता है
हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
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