आँखें
काली आँखें भूरी आँखें
किसी किसी की नीली आँखें
चुप होती पर करती बाँतें
रोती गाती हँस्ती आँखें
देख-देख कर प्यार जतातीं
गुस्सा कभी दिखाती आँखें
दिन भर सबको ताड़ा करती
रात-रात भर सोती आँखें
जंगल नदियाँ पर्वत सागर
कभी गगन दिखलाती आँखें
हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
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