बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
२१२/२१२/२१२
जान कर हारता हूं वहाँ'
इश्क मे बावरा हूं जहाँ।
माँ बचाकर रखी है मुझे,
जलजला है खड़ा हूँ जहाँ।
है दुआ की तरह आज भी,
माँ गई है गया हूँ जहाँ।
पोंछकर अपने आँसू सभी,
वो हँसी है हँसा हूँ जहाँ।
वो तो मुझमें ही जीती रही,
माँ मरी है मरा हूँ जहाँ।
ग़ज़ल
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़
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