Tuesday, 29 November 2016

इस पार भी इस गांव के उस पार भी,

बाजार मे बिकने लगे है प्यार भी।

मै कैसे कह दूँ बेवफा उनको कहो,

इस दौर मे ये प्यार भी दस्तूर भी।

मै गैरों से डरता नही माना मगर,

अब बदलने पाला लगे हैं यार भी।

ये दुश्मनी की आग जलने मत देना,

इसने जलाया है कई घर बार भी।

सुन चांद तुझको भी अकेला देखा है,

क्या मेरे जैसा है तेरा तकदीर भी।

ग़ज़ल
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़








 

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