वो पल भी जीया था ये पल भी जी लेता हूं,
कुछ हसीन यादों को अब भी गुनगुना लेता हूं।
दिन गुज़रा है तो छूटते गये बहोत से लमहें,
शराब अब भी टूटे हुए पैमाने पर छलका लेता हूं।
कुछ खास है वो घरौंदा जो हमने मिलके बनाया था,
अभी भी रेत मे जाकर मेरा दिल बहला लेता हूं।
जरा सी बात पर रूठना समझ नही आया अब तलक,
इसी बहाने से मै कुछ अपना दिल भी जला लेता हूं।
नफरतों का दौर था "हेमंत" या तकदीर का भुलावा,
मिले थे पल भर के लिए उस पल को पल पल सजा लेता हूं।
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
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