Tuesday 29 September 2015

परदेशीया के कथा (छत्तीसगढ़ी)

सीधा सादा मनखे मन ल तै बने लपेटा डारे,
गरीब मनखे ल परदेशीया तै हर मोह डारे।
जागत हे छतीसगढ़ीया सुन लव परदेशीया हो,
अब तुमन दिखिहव छत्तीसगढ़ ले मोटरा डारे॥

धोती सल्लूखा  लूगरी के तुमन मंजाक उड़ाये हवव,
सूट बूट पहिरे तुमन छत्तीसगढ़ ल कबजियाय हवव।
मसमोटी करव छत्तीसगढ़िया के रूपिया म तुमन,
घुरवा कचरा म जाहू अब तुमन  जैसे झुठन डारे॥

छत्तीसगढ़ के माटी म उपजे लयैका मन जाग गे हे,
तुमन अब नई राख सकव छत्तीसगढ़ ल भरमाये।
तुमन धोखा खाहू छत्तीसगढ़ के गूदा गूदा खवयीया हो ,
देखबो तुमन ल एक दिन छत्तीसगढ़ म मुड़ी माथा डारे॥

मोर महल हे मोर अटारी मोर सत्ता के सब पुजारी,
भागे बतर नई मिलही जब परही छत्तीसगढ़िया के लाठी।
छत्तीसगढ़ मोर महतारी ल अईसनहे जान देवन नही,
जियादा झिन कुलकुलाव इंहा ले जाहू  अब निंगधा डारे ॥

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़



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