जरा जरा सी बात थी पर और रूठा न कीजिए,
मोहब्बत की तारिख भी जरा गौर से पढ़ा कीजिए।
हम तो इशारे पर पर दांव लगाते है जिंदगी के लिए,
कागज पे जो लफ्ज है लिखा गौर से पढ़ा किजिये।
वो लकीर आपने ही बनाया था हमारे हाथों पर,
कभी फुर्सत हो तो थकदीरों को पढ़ लिया कीजिए।
तुमने तो जैसे कसम खा ली है हमसे दुरियाँ बनाने की,
अल्फाजों से ही सही जरा हमसे मिला तो किजिये।
हर गली चौराहे जब हम मिला करते थे "हेमंत"
सकूं-ए-यार के खातिर तिरछि निगाहों से देख तो लिया किजिये।
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
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