तुम्हें देखे बिन सनम अब रहा भी नही जाता,
सामने आ जाओ तो कुछ किया भी नही जाता।
अजब ये कश्मकश है क्या उल्फत का दौर है,
चुप नही रहा जाता इकरार किया भी नही जाता।
चैन नही रातो मे अब नींद भी करवटें बदलती है,
तकीयों के सहारे अब रातें बसर किया भी नही जाता।
इंतजार की घड़ीयां खत्म नही होती इशारों इशारों में,
इजहार वो नही करते इकरार मुझसे भी किया नही जाता।
अब ये इशक किस राह तक ले आया है तुझे "हेमंत"
निगाहों से इश्क की बातें सुलझाया भी किया नही जाता।
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
No comments:
Post a Comment