Tuesday 29 September 2015

सुन लव रे दरूहा हो

सुनलव रे दरूहा हो मरे के बेरा बड़ पछताहू,
डिस्पोजल अऊ पानी के गेलास कहां कोनमेर पाहू।
कोनो मेर तुमन होवय जमा लेथव मदिरा डेरा,
इंहा ले उजरहू त तिरिया चरित्तर कस हांथ लमाये जाहू॥

कूद कूद के पीयत हव त कूद कूद के झगरा हे,
बाई रिसाय घर म कांव कां के कतेत डेरा हे।
तभो ले तुंहर दारू नई छुटत हे अक्खड़ दरूहा हो,
तुमन जग ल बिगाड़ के ये संसार म कहां सुख पाहू॥

दाई ददा भाई बहिनी बेटा बेटी कतका हलकान हे,
तभो ले दारू के चुलुक बर तोर कतका गुनगान हे।
बाई घर घर झाड़ू पोंछा लगाय बर जाथे लाज नई हे निशरमी,
इंहा तप ले रे भड़वा उंहा चांऊर बेच नई दारू पाहू॥

लड़भड़ लड़भड़ एती तेती जाय के गोठ आनी बानी हे,
कोन नाली अउ घुरूवा कचरा तुंहर बर अमृत पानी हे।
अब सुधर जव मोर भाई कस तुंहर जिनगानी हे,
दुनिया भर के गारि खा के ग भाई बड़ अबजस भर  पाहू॥

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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