Saturday 9 November 2019

इश्क है तो आ यहां

2122/2122/2122

या   कहीं   इस  मुस्कुराने   में  अना है

या  मुहब्बत  में वो भी सचमुच फना है

आज मौसम ने जो बदला अपना पाला

हर  तरफ  बस  आसना  है आसना है

आसमाँ   पे   उड़ने  वाले  लौट  के आ

तेरी  अम्मी  की  यही  बस  कामना  है

उम्र भर  चलता  रहा जिससे मैं बच के

हाय!   रे   मेरा   उसी   से   सामना  है

सिर्फ  काँटें  हैं  यहाँ  ये  जान   ले  तू

इश्क  है  तो  आ  यहाँ  वरना  मना  है

ग़ज़ल
हेमंत कुमार मानिकपुरी








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