तू जल तो सही
तू जल तो सही
तू खप तो सही
पर्वत भी नतमस्तक होगा
सागर भी मीठा होगा
जीवन की जड़ता में
गोबर जैसे सड़ तो सही
दंभ ढले सड़कों से
वापस मुड़
पथरीली राहों पर चल
छाले हो तो सही
किसानों की पीड़ा में
अपना नीर बहाना सीख
बर्रे की खेतों में जाकर
प्यारे चल तो सही
नहाया कर धूलों से
मिट्टी से बतियाया कर
कामगार के कपड़ों सा
दरक कर फट तो सही
तू जल तो सही
तू खप तो सही
हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
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