Wednesday, 2 April 2025

तू जल तो सही


तू जल तो सही


तू जल तो सही
तू खप तो सही

पर्वत भी नतमस्तक होगा
सागर भी मीठा होगा
जीवन की जड़ता में
गोबर जैसे सड़ तो सही

दंभ ढले सड़कों से
वापस मुड़
पथरीली राहों पर चल
छाले हो तो सही

किसानों की पीड़ा में
अपना नीर बहाना सीख
बर्रे की खेतों में जाकर 
प्यारे चल तो सही

नहाया कर धूलों से
मिट्टी से बतियाया कर
कामगार के कपड़ों सा
दरक कर फट तो सही

तू जल तो सही
तू खप तो सही

हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़ 




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