Saturday 7 December 2019

मधुमालती


2212/2212

कहिए  अभी  क्या  हाल हैं,

सर  पे  बचे  क्या  बाल हैं ?

है  शुक्र   बस  इतना  हुआ,

अब  खेलना मत तुम जुआ।

ये  रोग   जिसको  भी लगा,

ये   बेच   दें   अपना  सगा।

पैसे   गए   फिर  मान  भी,

लेती   कभी   ये  जान  भी।

है  वक्त  अब  भी   ठान ले,

सच  राह  को  पहचान  ले।

माँ  बाप  की भी  सुन जरा,

उनका कहा  सच  से  भरा।

दे   त्याग   ओछे  कर्म  को,

पहचान   जीवन   मर्म  को।

है  कर्ज   तेरा   जो , चुका,

कर  मेहनत  मत सर झुका।

हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ़
छंद -मधुमालती



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