Thursday 12 December 2019

कुंडलियाँ

मानव अब मानव कहाँ,हुआ बहुत ही नीच।
दया धर्म उपकार को,भूला आँखे मीच।
भूला आँखे मीच,उसे अब स्वारथ भाए।
करता वह अपराध,जहाँ मौका मिल जाए।।
सोंच समझ इंसान ,नही बनना है दानव।
कर लो अच्छे कर्म,बनो तुम फिर से मानव।।

आया बादल देखिए,लेकर वर्षा आज।
खेतों को पानी मिला,शुरू हुए सब काज।।
शुरू हुए सब काज,मगन हैं धरती सारी।
लिए खाद अरू बीज,खेत आये नर नारी।।
बैलों की आवाज,सभी के मन को भाया।
बोओं जल्दी धान,किसानी का दिन आया।।






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