Tuesday, 17 December 2019
दोहे
Friday, 13 December 2019
मालिनी
Thursday, 12 December 2019
कुंडलियाँ
Saturday, 7 December 2019
मधुमालती
कहिए अभी क्या हाल हैं,
सर पे बचे क्या बाल हैं ?
है शुक्र बस इतना हुआ,
अब खेलना मत तुम जुआ।
ये रोग जिसको भी लगा,
ये बेच दें अपना सगा।
पैसे गए फिर मान भी,
लेती कभी ये जान भी।
है वक्त अब भी ठान ले,
सच राह को पहचान ले।
माँ बाप की भी सुन जरा,
उनका कहा सच से भरा।
दे त्याग ओछे कर्म को,
पहचान जीवन मर्म को।
है कर्ज तेरा जो , चुका,
कर मेहनत मत सर झुका।
हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
छंद -मधुमालती
Friday, 6 December 2019
ग़ज़ल
मैं नही कोई किरदार में अब
बिक चुका हूँ मैं बाज़ार में अब
देखिए तो हटाकर के परदा
फूल खिलने लगे ख़ार में अब
हो गए इतने क़ातिल जहाँ में
कम हो जाए जगह दार में अब
कोई भी तो समझ ता नही है
दूरियाँ क्यूँ है घर-बार में अब
होगा अंजाम जो देख लेंगे
सोचना क्या है मजधार में अब
तुमने जो बातें कर ली बहुत है
इतना काफी है इस प्यार में अब
ग़ज़ल
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ़