122/122/122/122
हरिक सख्स तेरा दिवाना है साकी,
ये दुनिया तो पीना पिलाना है साकी।
नशे मे रहा हूँ मै हरदम ये सच है,
तुझे पी लूँ तो होश आना है साकी।
यूँ ही लोग बदनाम करते हैं तुझको,
खुशी का तू सच मे ख़जाना है साकी।
ये दुनिया मुझे समझ ता है जो समझे,
यहीं पर मेरा बस ठिकाना है साकी।
वो जो गालियाँ दे रहा था तुझे कल,
वो भी आज तेरा दिवाना है साकी।
ग़ज़ल
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़
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