बसंत के मौसम में
जब उस पेड़ से मिला...
बसंत के मौसम में
जब उस पेड़ से मिला
वो खड़ा था चुपचाप
फूलों से लदा
हवाएंँ सरसराकर आतीं थीं
और लहराकर
उनके फूलों से लिपटकर
खुशबु चुराकर भाग जातीं थीं
फूल भी हवाओं के साथ
दिन-रात झूलते और
लहराकर मदमस्त हो जाते
तितलियांँ ,भौंरे कई तरह के पक्षी
उन फूलों पर जान छिड़कते
कुछ पक्षी तो उस पेड़ पर
फूलों के साथ
दिन-रात बिताने लगे थे
सब प्रेम में मग्न थे
पर वह पेड़ चुपचाप उदास खड़ा रहता था
न बसंत की हवाओं को
उनसे कोई मतलब था
न फूलों को न तितलियों को न पक्षियों को
वैसे तो वो पेड़
नौ महीने अकेला ही रहता था
पर बसंत के इन तीन महीनों में
सबसे ज्यादा अकेला और
सबसे ज्यादा उदास होता था....
हेमंत कुमार 'अगम'
भाटापारा छत्तीसगढ़
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