Monday 19 December 2016

कविता

हो सृष्टि में प्रभात नव,
शुभ्र कर दे कण कण,
हर तिमिर पग वंदन,
हे दिनकर अभिनंदन।

हे दिनकर अभिनंदन....

अवगुण पर प्रतिघात हो,
निशाचरी का सर्वनाश हो,
ज्योति भर दे निष्प्राण पर,
हो मन, सत्य का निस्पंदन।

हे दिनकर अभिनंदन.....

दर्प स्वाहा स्वाहा हो,
हो अनंत ज्ञान प्रकाश पूंज,
हो शिथिल विषधर वृन्द,
उल्रास का हो अवतरन।

हे दिनकर अभिनंदन....

चर अचर प्राणी सजल मे,
वीतराग का हो उत्क्रमण,
हे देव बल पुरूषार्थ दे,
अवनति का हो तिरोहन ।

हे दिनकर अभिनंदन....

समस्त ऊर्जा स्त्रोत धारी,
धरा,अनंत गगन प्रभारी,
तारापथ है, सर्व व्याप्त तू,
कर्ता है ब्रह्मांड का संपादन।

हे दिनकर अभिनंदन....

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़

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