रास छंद(सम मात्रिक) 8,8,6 क्रमागत दो दो चरण तुकांत
युद्ध नही हल,हरिक बात का,भान करें,
अपनी -अपनी,गलती का भी,ध्यान धरें।
मानवता का ,मान बढ़ाने , कष्ट सहें
भाई -भाई ,बनकर जी लें, मस्त रहें।
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