2122 2122 2122 212
आज हो या कल कभी तो सच बयाँ हो जाएँगे
झूठ वाले देखना फिर बे जबाँ हो जाएँगे
जिनको हमने दे दिया है वोट अपना कीमती
वे ही नेता जीत कर के आसमाँ हो जाएँगे
झोंफड़ों में आज जो पैदा हुए हैं नातवाँ
कल वही बच्चे जमाने की गिराँ हो जाएँगे
कह रहे थे साथ में चलना नही है राह में
सच यही है खुद-ब-खुद वो कारवाँ हो जाएँगे
जिनको पाला जान से बढ़कर के हमने उम्र भर
नव जवानी में सहज ही बदगुमाँ हो जाएँँगे
ग़ज़ल
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा
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