Saturday 29 December 2018

ग़ज़ल

2122    2122    2122   212
आज हो या कल कभी तो सच बयाँ हो जाएँगे

झूठ  वाले  देखना  फिर  बे जबाँ  हो  जाएँगे

जिनको हमने दे दिया है वोट अपना कीमती

वे   ही  नेता जीत कर के आसमाँ हो जाएँगे

झोंफड़ों  में  आज  जो  पैदा  हुए  हैं नातवाँ

कल  वही  बच्चे  जमाने की गिराँ हो जाएँगे

कह  रहे  थे साथ  में चलना  नही  है  राह  में

सच यही है खुद-ब-खुद वो कारवाँ हो जाएँगे

जिनको पाला जान से बढ़कर के हमने उम्र भर

नव  जवानी  में  सहज  ही  बदगुमाँ  हो जाएँँगे

ग़ज़ल

हेमंत कुमार मानिकपुरी

भाटापारा

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