Friday, 12 April 2019

ग़ज़ल


2122     1212     22/112

दुश्मनी का सफ़र तमाम करें

सब को हँस्ते हुए सलाम करें

बारिशें काम आएँगी कब तक

अब कुएँ का भी इंतिज़ाम करें

जीना अपने लिए ही काफी नहीं

ज़िंदगी औरों के भी नाम करें

जंग जायज़ नही है यार अभी

मस्अलों पे कोई कलाम करें

काम जब हाथों से नही बनता

हौसलों से भी कोई काम करें

ग़ज़ल

हेमंत कुमार मानिकपुरी

भाटापारा (छ ग)

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