दुश्मनी का सफ़र तमाम करें
सब को हँस्ते हुए सलाम करें
बारिशें काम आएँगी कब तक
अब कुएँ का भी इंतिज़ाम करें
जीना अपने लिए ही काफी नहीं
ज़िंदगी औरों के भी नाम करें
जंग जायज़ नही है यार अभी
मस्अलों पे कोई कलाम करें
काम जब हाथों से नही बनता
हौसलों से भी कोई काम करें
ग़ज़ल
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा (छ ग)
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