Wednesday 6 April 2016

फागुन आगे रे

रंग रस फागुन आगे रे,
मन मऊहा बउरागे रे।
गांव शहर बाजे नंगारा,
फगुआ के मउसम आगे रे॥

मन मतंग मानय नही,
मया के रस चुचुआगे रे।
कोन बईरी कोन संगवारी,
जम्मो जुर सकलागे रे॥

कोन डोकरा कोन डोकरी,
लईका जवान भऊजाई रे।
रंग बरसत हे पिचकरी ले,
उड़त गुलाल सतरंगी रे॥

जरही जी होली अवगुन के,
बारे बर हे मन के दाग रे।
हिरदे ल हिरदे जोर के संगी,
झुमत नाचत रंग बगरावव रे॥

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला बलौदाबाजार
भाटापारा

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