Sunday, 6 July 2025

प्रेम

मैं तुमसे
अगाध
प्रेम करता हूं
पर उस तरह नहीं
जिस तरह तुम
या दुनिया 
चाहती है
यह जो तरह शब्द है
प्रेम को
अपूर्ण कर देती है
सच कहूं तो
मैं तुम्हारी 
भावनाओं के
उस हिस्से में
रहना चाहता हूं
जहां घोर
रेगिस्तान है
गर्म हवाएं
जहां रेतों को
इधर से उधर
पटकती रहतीं है
मैं उस रेगिस्तान की
उष्णता में 
प्रेम को तलाशना 
चाहता हूं
मैं उस रेगिस्तान में
प्रेम का बीज
बोना चाहता हूं
और
बादल बनकर
बरसना चाहता हूं.....

हेमंत कुमार 'अगम'
भाटापारा छत्तीसगढ़ 



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