Monday 21 June 2021

gazal

1222 1222 1222 

मुझे  इस आग  से  बरबाद  होना  है

बला  गर  इश्क  तो  दो  चार  होना है

मेरे   घर  के  चरागों  ने गजब  ढाया

ये  तय है  छप्परों  को खाक होना है

कहाँ  जाऊँ  कहाँ  पाऊँ सकूँ के पल

मेरा  कोई  नही  हमदम  न  होना  है

अँधेरों  से  गिला  करता नही अब मैं

न  जाने  किस  गली में शाम होना है

न दिल को समझे तो क्या क्या करे कोई

वो   खुशबू   है   उसे   आजाद   होना है

हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा छत्तीसगढ़

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