Thursday 10 June 2021

gazal

212 212 212 2 

खेतों में खुद को आबाद कर लूँ

जिन्दगी चल तुझे राख कर  लूँ

कब  तलक  तू  पड़ी  यूँ  रहेगी

फस्लों  के  वास्ते  खाद  कर लूँ

कैद   दीवारों   मे   होना  ही  है

तो  मुझे  पहले बुनियाद कर लूँ

खुशबुएँ  फैल  जाएँगी  हर  सूँ

आज  फूलों को आजाद कर लूँ

मै  बिखरता  रहूँ  तो   है  जीवन

या  सिमट कर तुझे नाश कर लूँ

हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा


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