Sunday 26 April 2020

कोरोना पार्ट-वन

कोरोना पार्ट- वन


कोरोना इस पार है ,और भूख उस पार।


बेचारी  जनता  फँसी,दो धारी तलवार।।




मरना सब में तय हुआ,दीन हुए लाचार।


आँत्र क्षुधा की चीख से ,गई गरीबी हार।।



भूखे प्यासे तप्त मन,और समय की मार।


रोटी  रोजी  थी  नही,रुकना  था बेकार।।



विकट दशा कारुण्य मय,देखा था संसार।


अफरा-तफरी थी मची,जाने को घरबार।।



जैसे जिसको जो मिला,निकले हाथ पसार।


निज घर की दहलीज थी,प्रामाणिक आधार।।



कोई पैदल भागता,कोई आटो कार।


रिक्शा पे कोई चला,लादे घर परिवार।।



हेमंत कुमार मानिकपुरी

भाटापारा (नवागाँव)

छत्तीसगढ़















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