Friday, 12 January 2018

ग़ज़ल

पारए नाँ (1)तक उसे मिलता नही यारों

और उसकी हसरतें मरता नही यारों

नश्शए सह्बा (2)अभी चढ़ता नही तो क्या

गुजरा है दिन रात तो सोया नही यारों

है फ़रामुश जो कभी तो लौटकर आए

मेरा दिल अब भी कहीं भटका नही यारों

बादए गुलफ़ाम(3) ना हो तो मज़ा क्या है

ऐसी वैसी तो कभी पीता नही यारों

ये नक़ावत (4)है मेरी मैं दिल की कहता हूँ

औरों के जैसा मैं तो झूठा नही यारों

क़ागजों के साथ ही जीते रहे उमरा(5)

हमने बस इनकी तरफ देखा नही यारों

1-रोटी का तुकड़ा
2-शराब का नशा
3-एक गुलाबी शराब
4-शुद्धता,पवित्रता
5-धनवान लोग

ग़ज़ल

हेमंत कुमार मानिकपुरी

भाटापारा छत्तीसगढ़

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