गरज गरज बादर बने,पानी कस के ढार।
खेत खार छलके मुही,छलके तरिया पार।।
रूख-राइ जंगल कहे, दे हम ला उपहार।
हरियर हरियर हम दिखन,जिनगी हमर सवाँर।।
नान्हेंकन बीजा गड़े,करत हवय गोहार।।
धरती झटकुन भींज तैं,देखँव मँय संसार।।
मेचका धरती मा दबे,हे पानी के आस।
टरटों टरटों जी हमूँ,गा के करबो रास।।
मानुस तन थर्राय हे,पा के अब्बड़ घाम।
पानी के बिन हे परे,गाड़़ा भर के काम।।
नाँगर चलही खेत भर,पाबो कँस के धान।
जाँगर हमर सुफल करव,हे जलधर भगवान।।
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ़
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