Saturday 6 May 2017

कविता

ओह !गर्मी का दिन आया रे,
कूलर एसी मन भाया रे,
तर तर तर निकले पसीना,
गन्ने का रस कितना भाया रे ।

फ्रिजर मटके का दिन आया रे,
ठंडी पानी खूब पिलाया रे,
धू धू करके जले पूरा बदन,
तरबूजा खरबूजा मन भाया रे ।

अब तो भाजी बढ़ीया लागे रे,
खट्टा भी कितना मन भाया रे,
अब तो हर बाजारों के ठेले पर,
रसदार आम का मौसम आया रे ।

ककड़ी खीरा भी अब तो आया रे,
मन को खूब तृप्त कराया रे,
देख सम्हल कर चलना भैया,
गर्म हवावों(लू) का दिन आया रे....

           हे मं  त

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