दोहे.....१३/११
दाई के अँगना छुटे,ददा बबा के प्यार।
काट बछर सोला डरे,जा मैना ससुरार।।
टोरे ले टूटय नही,लेख लिखे जे हाथ।
बेटी तँय पहुना रहे,बस अतके हे साथ।।
धर ले मइके के मया,इही तोर पहिचान।
सास ननँद देवर ससुर,सबके करबे मान।।
ददा नवा दाई नवा , नवा ठउर हे तोर।
अपन जान तँय राखबे,सबके मन ला जोर।।
अपन सजन के सँग सरग,अँगना घर संसार।
सपना मा झन सोंचबे, अहित कभू ससुरार।।
दोहे....
हेमंत कुमार
भाटापारा
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