Thursday, 9 October 2025

चुपु -चुपु, पुइयों -पुइयों


चुपु-चुपु ,पुइयों-पुइयों



चुपु-चुपु ,पुइयों-पुइयों
की आवाज वाली
सेंडल पहनी
एक लड़की 
मुझे गली से रोज
देखती है
महज डेढ़ बरस की होगी
वो रोज दौड़ लगाती है
हमारी गली में
पड़ौस में ही रहती है
अभी-अभी चलना सीखा है
अक्सर गेट के पास आ जाती है
झुककर देखती है 
शायद मुझे ही देखती है
और जब मैं उसे देख लेता हूं
अपनी बंधी हुई मुठ्ठी से 
एक ऊंगली निकाल कर
मिठ्ठू की चोंच जैसे
ऊपर नीचे हिलाने लगता हूं
वो भी करने की
कोशिश करती है
और हंसने लग जाती है
मैं भी हंसता हूं
मुझे हंसता देख वह
जोर-जोर से
कूदने लगती है
और चुपु-चुपु, पुइयों-पुइयों 
वाली सेंडल की आवाज से
पूरा घर 
कुछ समय के लिए ही सही
बचपन की तरफ
लौट आता है....

हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़