Friday 23 December 2022

कर्म लोक ..दोहा

कर्म लोक है यह जगत,जस करनी तस आय।

जैसा   है गुण बीज  का,  वैसा ही फल पाय।।


इस दुनिया को जानिए,ये है एक सराय।

आना जाना है लगा,समझो यह पर्याय।।


जाओ  गर  उस पार तो ,आए नही खरोंच।

कैसे   खेना   नाव  को , खेने  वाले  सोंच।।


सच्चा  जब  तन  मन रहे,आए नही विकार।

कपड़ा  सादा  हो न हो , सादा  रहे विचार।।


रक्त, देंह सब एक है, एक सभी में जान।

दोहरापन न राखिए,सब हैं एक समान।।



हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा

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