Friday, 23 December 2022

कर्म लोक ..दोहा

कर्म लोक है यह जगत,जस करनी तस आय।

जैसा   है गुण बीज  का,  वैसा ही फल पाय।।


इस दुनिया को जानिए,ये है एक सराय।

आना जाना है लगा,समझो यह पर्याय।।


जाओ  गर  उस पार तो ,आए नही खरोंच।

कैसे   खेना   नाव  को , खेने  वाले  सोंच।।


सच्चा  जब  तन  मन रहे,आए नही विकार।

कपड़ा  सादा  हो न हो , सादा  रहे विचार।।


रक्त, देंह सब एक है, एक सभी में जान।

दोहरापन न राखिए,सब हैं एक समान।।



हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा

Sunday, 18 December 2022

सत्य पुरुष बबा घासी दास



सब ला सत रसता बता,करिन बड़ा उपकार।

गुरु    बबा   के गोठ मा, हे  जीवन  के  सार।।


भाई बन जुर-मिल रहव,करव नही अभिमान।

सबके  काया  एक  हे  , सबके  लहू   समान।।


जात-पात के ढोंग ला ,अंतस   ले  दव   बार।

गुरु    बबा   के गोठ मा, हे  जीवन  के  सार।।


दारू गाँजा छोंड़ दव,खावव  झिन  जी मास।

निरमल मन के धाम मा,सत्य पुरुष  के वास।।


मनखे  जिनगी चार दिन ,  करौ  नही बेकार।

गुरु   बबा   के  गोठ मा , हे  जीवन के सार।।


मैं  अड़हा  अँव जान के ,  तारव  हे   सतनाम।

सत्य पुरुष हे आपके, चरण कमल निज धाम।।


तोर   तपोवन   धाम मा  ,  बसे सकल संसार।

गुरु   बबा   के    गोठ मा  ,हे जीवन के सार ।।



हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा छत्तीसगढ़