Sunday 26 May 2024

गर्मी


नदियाँ   नाले  ताल के , बिगड़ गये  हैं ताल।

बरस  रहे  हैं धूप जी , बनकर   जैसे  काल।।


सूरज  के आक्रोश   से ,  है  घड़ा   परेशान।

एसी  कूलर  फ्रीज की, निकल गई है जान।।


पशु -पक्षी अरु जानवर,क्या मानव की जात।

भुट्टे   जैसे भुन रहे  , पड़-पड़-पड़  दिन-रात।।


गर   जाना  हो  स्वर्ग तो , बाहर निकलो यार।

लू  गलियों   में  घुम  रहा , लिये मौत  उपहार।।

 
जगह जगह अवरक्त  का , अनदेखा है धार।

सड़कें  नागिन  रूप धर ,रोज रहीं फुफकार।।


गरमी  से  अकबक हवा ,खोजे शीतल छाँव।

नही  मिला ! पर एक भी ,तरुवर वाला गाँव।।


न   मानेंगे   बिना  पिये , सूर्य  देव अब खून।

माई-माई   में    मई  ,  और    कटेंगे   जून।।


हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा छत्तीसगढ़













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