बासी
मोला आथे रोज खवासी
अबड़ सुहाथे चटनी-बासी
बासी के तँय गुन ला गा ले
बड़ बड़ कवँरा धर के खा ले
सुन लइका सुन लव सँगवारी
बासी मा हे ताकत भारी
बासी रोज डपट के खाथे
तभे बबा कस के अटियाथे
एकर खट्टापन मा रहिथे
दवा रोग के सबझन कहिथे
मही डार ले तँय बासी मा
ये लाभ करे उबकासी मा
आय देंवता कस ये बासी
निर्धनता के काबा कासी
जुग जुग जी तँय रह अविनासी
पेट भरे बर सबके बासी
हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा
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