Sunday 31 January 2021

दोहा गीत

     माँ सत् की आराधना,माँ सुखदायक नाम।
      माँ जीवन का सार है,माँ है चारो धाम।।
     


जीवन क्यूँ सड़ता रहा,इसी बात को तोल।
माँ की ममता का नही,शायद समझा मोल।।



     माँ की सेवा कर सतत् ,यही सार है काम
     माँ जीवन का सार है,माँ है चारो धाम.....



माँ मखमल की बिस्तरा,माँ फूलों की गाँव।
माँ सर्दी की धूप सी,माँ बरगद की छाँव।।



     माँ सूरज की रोशनी,माँ मुस्काती शाम।
     माँ जीवन का सार है,माँ है चारो धाम......


माँ अंधे की आँख है,माँ लंगड़े की पाँव।
माँ से बढ़कर है नही,दूजा कोई ठाँव।।


     माँ की आँचल सा कभी, नही मिले आराम।
     माँ जीवन का सार है,माँ है चारो धाम.....



माँ गुड़ की मीठी डली,माँ चाँवल की खीर।
माँ चटकारा चाट की,माँ समझे हर पीर।।

       माँ की गोदी में बसा,जीवन का अभिराम।
       माँ जीवन का सार है,माँ है चारो धाम.....



हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़

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