Tuesday 24 July 2018

कटही रमकेरिया

कटही रमकेरिया  हे तोर सुवाद  निराला,
खेड़हा, कोचयी ,कोचयी पान के इड़हर पुराना।
डुबकी, कमसयीया, कोंहड़ा लागे बढ़िया,
वाह रे !भांटा मुरयी जिमि कांदा के साग ॥

वाह रे !भाटा..........

तोरयी ,बरबट्टी अउ लौकी के साग,
कटहर ,परवर के अलगे हे  मिठास।
चुटुक ले तरूहा भुंजुआ करेला संगवारी,
आलू एति कहत हे मै सब साग के बाप॥

वाह! रे भांटा..........

अदवरी बरी रखिहा बरी बर बोहे लार,
मुनगा संग फदके झुरगा आए हे बजार।
बटुराली सेमी बर  मन कतका ललचाए,
बंधा ,फूलगोभी अउ बटकर के करले बात ॥

वाह रे! भांटा..........

टिंडा ,कुंदरू ,चरचुटिया आनी बानी,
ढेंश कांदा मसूर के मिंझरा के का बात।
पिहरी-पुटू मेछरावय बड़ भाव खावय,
खेखसी के सुवाद तो जानत हव आप ॥

वाह रे !भांटा........

किसीम किसीम के इंहा हावय भाजी,
खोटनी ,चरोटा, मुस्केनी के भाजी।
कांदा ,तिनपनिया, गोंदली भाजी मेथी के साग,
लाल भाजी पालकभाजी बथूहा भाजी हे खास॥

वाह रे भांटा मुरयी जिमि कांदा के साग,,,,,,,

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment