Wednesday 2 October 2024

एक लड़की

हाँ  एड़ियों  के  बल  पर  लपकती  लड़की
अच्छी   लगतीं   हैं   बेर    तोड़ती   लड़की


सूरज   उठाये   सर   पे    मटके  की  तरह
सुबह  हुईं  नही  कि  गाँव  नापती   लड़की


माथे    से    पसीना   पोंछती   है   थककर
धूप   सँग   फिर  बतियाती  खेलती लड़की


तानो   का    कुर्ता   है   लाज  की   ओढ़नी
बड़ी   मुश्किल   से  सजती  सँवरती लड़की


ये  खुशियाँ   भी   रोज   ही   दरक जातीं हैं
रोज  अपनी   किस्मत   से  हारती   लड़की


काश  कहीं  मिल  जाती   दौड़ती  उछलती
लंबी   सी   चोटियों    को   छेड़ती   लड़की


हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़